जीरो की खोज किसने की थी?

जब भी शून्य के आविष्कार को लेकर बात आती है तो हमारे मन में ऐसे बहुत सारे सवाल उठते हैं। (जीरो की खोज किसने की थी)Zero ki Khoj Kisne ki thi, जीरो का आविष्कार कब और कहा हुआ था, शून्य क्या है, और 0 ki khoj में आर्यभट्ट का क्या योगदान है।

इन्ही सभी सवालो का जबाब हम इस लेख में देंगे।

प्राचीनकल में बहुत से लोग जीवन जीने की पद्धति को सिख रहे थे। इसी समय भारत में वैज्ञानिक  युग की शुरुआत हो रही थी।

जिस समय यहां पर सिन्धु घटी सभ्यता की खोज हुई थी तब पुरे विश्व ने इस अत को सच मान लिया था की भारत विज्ञानं के क्षेत्र में विकसित हो गया है और कई देशो से विज्ञानं के क्षेत्र में आगे है।

लेकिन एक बात का बहुँत दुःख होता है की कई उपलब्धिया ऐसी है जिनका श्रेया हमे अभी तक नही मिल पाया है। 

जीरो की खोज किसने की(zero ki khoj kisne ki thi)

जीरो की खोज महान गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने की था।

Zero ka Avishkar Kisne KIya tha?

पहली बार ब्रह्मगुप्त नामक एक विद्वान और गणितज्ञ ने 628 ईस्वी में शुन्य को परिभाषित किया था।

इसे परिभाषित करते हुए इसके लिए एक प्रतिक दिया गया जो की संख्या के निचे एक डॉट के रूप में हुआ करता था।

ब्रह्मगुप्त ने गणितीय संक्रियाओ जैसे की जोड़ (Additon) और घटाव (Substraction) के लिए जीरो (Zero) का प्रयोग और उसके नियम भी लिखे है।

इसके पश्चात महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली में जीरो उपयोग किया था।

उपरोक्त लेख में यह साबित होता है की Zero ki Khoj भारत में हुई थी, जीरो के अविष्कार ने गणितको नयी दिशा दी और इस अधिक सरल बना दिया ।

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तो दोस्तों उम्मीद करते है की इस लेख में साझा की हुई जानकारी आपको पसंद आई होगी।

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