ऑप्टिकल फाइबर की खोज किसने की थी ? | Optical Fiber Ki Khoj

ऑप्टिकल फाइबर की खोज | Optical Fiber Ki Khoj | ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है | ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार

दोस्तों क्या आप जानते है की ऑप्टिकल फाइबर की खोज किसने की थी, अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े, क्योकि यहां हम आपको ऑप्टिकल फाइबर के बारे में विस्तार से जानकारी साझा करेंगे।

ऑप्टिकल फाइबर क्या होता है?

ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार का तार होता है जो पतले कांच और प्लास्टिक , मतलब फाइबर से बना होता है ये एक तरह का ऐसा उपकरण है जिसमें लाइट और लेजर की मदद से डेटा एक स्थान से दूसरे स्थान में ट्रांसफर किया जाता है।

यह एक ऐसा तार होता है जिसमें इलेक्ट्रिसिटी पास करवाने के बजाए लेजर लाइट पास करवाया जाता है और यह आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर बड़ी जल्दी पहुंच जाती है।

ऑप्टिकल फाइबर की खोज किसने की थी ? (Optical Fiber Ki Khoj)

ऑप्टिकल फाइबर की खोज सन 1952 नरिंदर सिंह कपानी ने किया था, यह वैज्ञानिक भारत के पंजाब में रहने वाले एक अमेरिकी वैज्ञानिक है। अमेरिका में जाकर इन्होंने ऑप्टिकल फाइबर जैसे बड़े आविष्कार किए हैं।

ऑप्टिकल फाइबर एक इंसान के बाल से थोड़ा ही मोटा होता है। इसको सिलिकॉन , कांच या प्लास्टिक की मदद से बनाया जाता है यह बहुत ही लचीला पदार्थ होता है परंतु इसके ऊपर कई सारे परत लगाए जाते हैं उसके बाद इसे तार के रूप में बनाया जाता है।

ऑप्टिकल फाइबर की खोज कहां हुई थी?

ऑप्टिकल फाइबर की खोज अमेरिका में हुई थी। इस खोज के बाद किसी भी डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान में पहुंचाने में ज्यादा देर नहीं लगती है यह बहुत ही जल्दी काम करता है और बहुत ही तेज संचार का माध्यम बन चुका है।

ऑप्टिकल फाइबर के प्रकार

ऑप्टिकल फाइबर केबल के प्रकार निम्नलिखित है:-

लोस कॉन्फिग्रेशन :- इस ऑप्टिकल फाइबर के ऊपर जेल की परत चढ़ाई जाती है। अर्थात फाइबर के ऊपर एक पतला सा कोर होता है जिसके अंदर जेल भरा जाता है जिससे वह सुरक्षित रहे।

टाइट कॉन्फिग्रेशन:- इस ऑप्टिकल फाइबर को सुरक्षित रखने के लिए इसके ऊपर स्ट्रेट वायर का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि ऑप्टिकल फाइबर बहुत ज्यादा लचीला होता है जिसके कारण वह बार-बार मूड जाता है इसमें स्ट्रेट वायर की परत चढ़ाने से यह मुड़ता नहीं और खराब होने का डर भी नहीं होता।

सिंगल मोड:- इस ऑप्टिकल फाइबर में केवल एक ही लेजर या लाइट पास हो सकती है जिसके कारण यह बहुत ही लंबा चलती है। इस फाइबर में एक लाइट के जरिए सिग्नल पास करवाया जाता है परंतु यह भी बहुत जल्दी काम करती है।

मल्टी मोड :- single-mode से विपरीत मल्टी मोड में बहुत सारे लाइट पास करवाने का रास्ता होता है परंतु सिंगर मोड के जैसा यह फाइबर ज्यादा दूर तक सिग्नल पास नहीं करवा पाता।

ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग

खास तौर पे ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग संचार माध्यम के लिए किया जाता है। समुद्रों के नीचे भी ऑप्टिकल फाइबर की तार बिछाई जाती है जिससे एक महाद्वीप दूसरे महाद्वीप के साथ संचारू रूप से जुड़े रहे। आज के समय में यह हर देश में उपयोग होने लगा है जमीन के नीचे से यह संचार माध्यम लोगो को आपस में जोड़े रखा है।

ऑप्टिकल फाइबर के लाभ और हानि

लाभ :-

  • यह तार बहुत ही हल्की और पतली मानव केश समान होती है।
  • ज्यादा लंबी दूरी तक संचार संभव हो पाता है।
  • डिजिटल तरीके से यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर डेटा पहुंचाता है।

हानि :-

  • साधारण तार के मुकाबले ऑप्टिकल फाइबर महंगा होता है।
  • ऑप्टिकल फाइबर को कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल बात है।
  • वैज्ञानिक की ही ऑप्टिकल फाइबर को बना या बिगाड़ सकता है इसके अलावा हर कोई इसे इंस्टॉल नहीं कर सकता।

ऑप्टिकल फाइबर का सिद्धांत :-

ऑप्टिकल फाइबर भौतिक विज्ञान के टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन सिद्धांत पर काम करता है। इसमें लाइट पास करवाया जाता है तो यह इसी सिद्धांत के रूप में लाइट को फाइबर के अंदर रिफ्लेक्ट करवा कर आखरी बिंदु तक पहुंचा देता है। यह सिद्धांत बार-बार फाइबर के अंदर दोहराती रहती है इसी वजह से सिग्नल लाइट एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक बहुत ही जल्दी पहुंच जाती है।

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