मॉडेम का आविष्कार | Modem ka avishkar | Modem Kya Hai
दोस्तों क्या आप जानते है की सबसे पहली मॉडेम कोनसी थी और उस मॉडेम का अविष्कार किसने किया था, अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।
मॉडम क्या है ? (What is Modem)
मॉडम एक ऐसा डिवाइस होता है जो एनालॉग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में कन्वर्ट करता है और डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिगनल में कन्वर्ट करता है। यह डिवाइस कंप्यूटर को इंटरनेट तक जोड़ने का काम करता है।
कंप्यूटर के साथ-साथ और भी कई सारे डिवाइस होते हैं जिन्हें इंटरनेट की जरूरत होती है मॉडम उसके लिए बहुत ही अच्छा यंत्र माना जाता है जो अपनी खासियत से डिजिटल सिग्नल को एनालॉग में बदल करके इंटरनेट के पास भेजता है।
मॉडेम का फुल फॉर्म क्या होता है?
मॉडम का फुल फॉर्म Modulator- Demodulator होता है। जैसा कि हमने बताया या एक ऐसा हार्डवेयर डिवाइस है जो पहले एनालॉग सिग्नल में मोडूलेट करता है उसके बाद एनालॉग सिग्नल को डिजिटल सिगनल में डिमोडूलेट करता है।
मॉडेम कैसे काम करता है ?
जैसा कि हमने बताया मॉडेम क्या है इससे तो आप जान ही गए होंगे कि मॉडेम कैसे काम करता है।
दूसरी भाषा में मॉडेम को नेटवर्किंग डेविस भी बोल सकते है, आपको बता दे की कंप्यूटर के अंदर कोई भी डेटा डिजिटल सिग्नल में ही जमा होती है मतलब 0 या 1 के फॉर्म में तो ये सिग्नल नेटवर्क में पहुंचने में असमर्थ होती है इसको बदलने के लिए मॉडेम लगाया जाता है।
मॉडेम डिजिटल को एनालॉग सिग्नल में बदल के टेलीफोन वायर में संचारित कर देते है जिससे कंप्यूटर तक नेटवर्क पहुंचता है। ठीक उसी प्रकार टेलीफोन लाइन में होने वाले एनालॉग सिग्नल को डिजिटल सिग्नल में कन्वर्ट करके कंप्यूटर में संचारित करने का काम मॉडेम करता है।
मॉडेम का आविष्कार किसने किया ? (Modem ka avishkar kisne kiya tha)
सबसे पहली मॉडेम का नाम Bell 103 Modem था, इस मॉडेम का आविष्कार AT&T corporation ने 1962 में किया था। यह सबसे पहला मॉडेम था जिसका आविष्कार सर्वप्रथम किया गया।
मॉडेम कितने प्रकार का होता है?
वैसे तो मॉडेम कई प्रकार के होते हैं पर मुख रूप से मॉडेम 3 प्रकार के होते है, मॉडेम के 3 स्ट्रक्चर होते है तीनों अपने अपने जगह पर महत्व रखते है।
एक्सटर्नल मॉडेम:- जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है यह एक एक्स्ट्रेनाल मॉडेम होता है जो कंप्यूटर के बाहर स्थित करवाया जाता है इस मॉडम को वायर और यूएसबी की सहायता से कंप्यूटर से कनेक्ट किया जाता है। लोगो को यह एक छोटा से बॉक्स के रूप में नजर आता है जिसके ऊपर सिग्नल के लिए दो दंडिया लगी होती है।
इंटरनल मॉडेम :- इंटरनल मॉडेम आज के समय में पीसी कार्ड के रूप में कंप्यूटर में लगा होता है।यह एक बहुत ही आसान माध्यम होता है डायरेक्ट इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिए। यह मॉडेम सर्किट हाउस के रूप में कंप्यूटर में लगवाया जाता है। जिस प्रकार टेक्नोलोजी बढ़ीती जा रही है मॉडेम आजकल इसमें पहले से ही फिक्स आने लगा है।
फैक्स मॉडेम :- यह एक तरह का मशीन मॉडम होता है ज्यादातर इसका उपयोग फैक्स एक्सचेंज करने के लिए किया जाता है। फैक्स मशीन के रूप में यह मॉडेम आज भी उपयोग में लाया जाता है।
मॉडेम का उपयोग कहां कहां किया जाता है?
मॉडेम का उपयोग वैसे तो डाटा ट्रांसलेट कराने के लिए किया जाता है परंतु इसका एक और उपयोग होता है, अगर आपको इंटरनेट कनेक्शन सीधा और सही मात्रा में चाहिए तो वहां भी मॉडेम को उपयोग किया जाता है जिसे हम डाटा कंप्रेशन कहते है।
या फिर अगर कोई भी व्यक्ति कंप्यूटर मे वर्क करता है तो कभी-कभी सिग्नल के दौरान हमें एरर दिखाई देता है बड़े-बड़े कार्यों में एरर आने से काम रुक जाता है इस दौरान मॉडेम का उपयोग करने से किसी भी प्रकार की एरर दिखाई नहीं देती। और इसके साथ ही अच्छे स्पीड में आपको इंटरनेट मिलता है। बड़े-बड़े कंपनी और जरूरी काम में मॉडेम का उपयोग इसी लिए किया जाता है।
राउटर और मॉडेम में क्या अंतर है ?
राउटर और मॉडल के बीच बिल्कुल साधारण अंतर है वैसे तो राउटर मॉडल से कम कार्य करता है क्योंकि मॉडेम हमारे डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ने का कार्य करता है परंतु राउटर के वाली इंटरनेट को एक ही जगह पर वितरित करने का कार्य करता है जैसे वाईफाई।
हम वाईफाई के उदाहरण से यह समझ सकते हैं कि हम एक डिवाइस से वाईफाई दूसरे डिवाइस में कनेक्ट कर सकते हैं। परंतु मॉडेम हमको सीधा इंटरनेट से कनेक्ट करवाता है। इंटरनेट कनेक्शन की भाषा में समझे दो मॉडल एक वाइड एरिया नेटवर्क का काम करता है और दूसरी तरफ राउटर एक लोकल एरिया नेटवर्क का काम करता है।
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दोस्तों उम्मीद करते है की Modem ka avishkar के बारे में आपको सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में प्राप्त हुई होगी।