एंटीबायोटिक की खोज किसने की थी और कब की थी

दोस्तों क्या आप जानते है की एंटीबायोटिक की खोज किसने की थी और कब की थी अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े यहां हम एंटीबायोटिक के बार में विस्तार से जानकारी देने वाले है।

Pratijaivik Ke Avishkarak Kon Hai (Antibiotic Ki Khoj Kisne Ki)

प्रतिजैविक जिसे हम एंटीबायोटिक भी कहते हैं इसका इस्तेमाल हम सब इंफेक्शन व जीवाणु संक्रमण के लिए करते हैं। चिकित्सा क्षेत्र की सबसे पहली प्रतिजैविक दवा का नाम पेनिसिलिन था।

Pratijaivik Ke Avishkarak Hai अलेक्जेंडर फ्लैमिंग। प्रतिजैविक का आविष्कार सन् 1928 में 28 सितंबर में हुआ था। इसका आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक एक नोबेल पुरस्कार विजेता भी रहे है जिन्हें देश विदेश हर जगह जाना जाता था।

एंटीबायोटिक की खोज करने के बाद अलेक्जेंडर फ्लैमिंग बहुत ज्यादा प्रसिद्ध हुए, चुकी यह प्रतिजैविक औषधि दुनिया में सबसे पहले बनाई गई थी इसलिए यह लाखों लोगों को बड़े संक्रमण और बीमारी से बचाने के काम में भी आई, और इस अविष्कार से दुनिया भर में लाखो करोड़ो लोगो की जान बची।

प्रतिजैविक क्या है इसकी खोज कैसे हुई?

प्रतिजैविक एक ऐसी औषधि होती है जो जीवाणु द्वारा उत्पन्न हुए संक्रमण को खत्म करने का कार्य करती है। प्रतिजैविक को एंटीबायोटिक कहते है और सबसे पहले इस एंटीबायोटिक की खोज स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक जिनका नाम अलेक्जेंडर फ्लैमिंग था उन्होंने एक एक्सपेरिमेंट के दौरान किया था।

जब एलेग्जेंडर अपनी लैब में बैठकर एक पेस्ट्री डिश के ऊपर प्रयोग कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि इसके ऊपर लगे जेली में कुछ फफूंद आ गई हैं और जिस जगह पर यह फफूंद है वहां की सारी बैक्टीरिया मर चुकी थी।

तो उन्होंने इस फफूंद से ऐसी औषधि का निर्माण किया जिससे संक्रमण को दूर किया जा सकता था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से इस दवा को देश विदेश में फैलाया गया और आज भी इस प्रतिजैविक को चिकित्सा क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है।

एंटीबायोटिक कितने प्रकार के होते हैं?

जिस प्रकार संक्रमण भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं उनके लिए एंटीबायोटिक दवा भी अलग-अलग प्रकार की बनाई गई है। वैसे तो एंटीबायोटिक दवा को लोग तीन प्रकार से ले सकते हैं जैसे टेबलेट की रूप में, सिरप के रूप में या इंजेक्शन के रूप में।

संक्रमण ग्रसित लोगों के लिए अलग-अलग प्रकार से एंटीबायोटिक दवा बनाई जाती है जिससे वह अपने हिसाब से दवाई का पूर्ण डोस अच्छे से ले सके।

चलिए जानते हैं एंटीबायोटिक के प्रकार:-

  • पेनिसिलिन
  • सेफालोसपोरिन
  • टेटरासाइक्लाइंस
  • एमिनोग्लैक्सीड्स
  • मेट्रोलीड्स
  • क्लिंडामाईसिन
  • सल्फोनामाइड्स और ट्रिमेथोप्रिम
  • क्विनोलोंस
  • नाइट्रोफुरेटोइन

यह कुछ एंटीबायोटिक दवा के प्रकार है जो जैविक संक्रमण में औषधि का रूप है। ऐसी बहुत सारी हार्ड दवाइयां होती हैं जिनके कारण शरीर में साइड इफेक्ट देखने को मिलता है उनके साथ भी डॉक्टर एंटीबायोटिक देते हैं जिनसे शरीर में संक्रमण उत्पन्न होने का खतरा कम होता है।

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