पेसमेकर का आविष्कार किसने किया और इसका क्या कार्य है

दोस्तों क्या आप जानते है की पेसमेकर का आविष्कार किसने किया और इसका क्या कार्य है अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े यहां हमने आपको पेसमेकर के बारे में विस्तार से बताया है।

पेसमेकर क्या है

पेसमेकर एक चिकित्सक उपकरण होता है जिसे दिल के पास लगाया जाता है। जब दिल का प्राकृतिक पेसमेकर साइनस नोड खराब हो जाता है या सही ढंग से काम नहीं करता है तो उसके जगह आर्टिफिशियल पेसमेकर लगाया जाता है जिससे दिल की गति सामान्य तरीके से चले। दिल की असामान्य गति को पेसमेकर के जरिए नियंत्रित किया जाता है।

चलिए अब जानते है की पेसमेकर का आविष्कार किसने किया और कब।

पेसमेकर का आविष्कार किसने किया

सबसे पहले जॉन अलेक्जेंडर मैक्विलियम ने सन 1889 को बताया था, कि इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर की मदद से हृदय की गति को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके बाद इस पर कार्य चालू किया गया उसके बाद 1932 में अल्बर्ट ह्यमन ने एक इलेक्ट्रो मैकेनिकल इंस्ट्रूमेंट को बनाया जिसे आर्टिफिशियल पेसमेकर के नाम से जाना जाने लगा।

इसके बाद भी पेसमेकर पर अलग-अलग वैज्ञानिकों ने काम किया परंतु सबसे सर्वश्रेष्ठ और डिवाइस में बदलाव करके रूण एल्मकविस्ट ने सन् 1958 को इम्प्लांट पेसमेकर बनाया जिसे मानव शरीर के अंदर इम्प्लांट किया जा सकता था और आज भी इसी आर्टिफिशियल पेसमेकर का इस्तेमाल किया जाता है।

पेसमेकर कितने दिन तक चलता है?

वैज्ञानिकों के मुताबिक एक आर्टिफिशियल पेसमेकर 10 से 15 साल तक चल सकता है। कार्डियक सर्जरी के दौरान पेसमेकर को ह्रदय में फिट किया जाता है जिससे ये सही प्रकार से काम कर सके।

पेसमेकर किसका बना होता है?

पेसमेकर टाइटेनियम से बना होता है और इसका वजन 25 से 35 ग्राम का होता है, यह बहुत ही छोटा सा डिवाइस होता है। यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मांसपेशियों में इलेक्ट्रिक इंपल्स भेजता है जिससे ह्रदय गति सामान्य बनी रहती है।

पेसमेकर का कार्य

विज्ञान के माने तो सामान्य हृदय गति 60 से 80 प्रति मिनट के बीच हो सकती है परंतु अगर धड़कन इससे भी कम हो जाए तो आर्टिफिशियल पेसमेकर लगाया जाता है यह हृदय की गति को सामान्य कर देता है और व्यक्ति को हृदय से जुड़ी परेशानी नहीं होती। यह डिवाइस इलेक्ट्रॉनिक तौर पर इंपल्स भेजता है जो हृदय की गति को सामान्य करने का कार्य करता है।

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