क्या आपको पता है की लूडो का आविष्कार किसने किया और कब

लूडो का आविष्कार: वर्तमान समय में अलग-अलग तरह के खेलों को खेला जाता है। जिनमें से एक बहुत ही मशहूर घर के अंदर खेले जाने वाले खेल “लूडो” है। आजकल लूडो को ना सिर्फ भारतीय लोगों द्वारा बल्कि पूरे विश्व के लोगों द्वारा खेला जाने लगा है।

पहले के समय में लूडो को केवल कार्डबोर्ड की मदद से ऑफलाइन मोड में खेला जाता था, परंतु वर्तमान में इसे ऑनलाइन अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर भी खेला जा सकता है।

लेकिन दोस्तों क्या आपको पता है की क्या आपको पता है की लूडो का आविष्कार किसने किया था, अगर नहीं तो चलिए लूडो से जुड़े हुए कुछ रोचक बातों के बारे में इस लेख में जानते हैं और जानते है की ludo ka avishkar kisne kiya tha

लूडो क्या है?

लूडो के नियम

लूडो एक घर के अंदर खेले जाने वाले खेल होता है। जिसे घर में दो, तीन, या चार लोगों द्वारा खेला जा सकता है। परंतु डेनमार्क में इस खेल को 6 लोगों द्वारा खेला जाता है।

लूडो गेम को प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक “पच्चीसा” नामक खेल से लिया गया है और आज के समय में इसी पच्चीसा नामक खेल को लूडो के नाम से जाना जाता है।

ludo ka avishkar kisne kiya tha (लूडो का आविष्कार किसने किया)

कहा जाता है कि लूडो खेलने की शुरुआत भगवान शंकर एवं कृष्ण के समय में ही हो गई थी। तब से लेकर अब तक इस गेम को खेला जा रहा है, भारत में इस खेल का इतिहास लगभग 2000 साल पुराण है, परन्तु इस खेल का उल्लेख महाभारत, और अन्य हिन्दू पुराणों में किया गया है।

प्राचीन काल से लेकर के अभी के समय तक लूडो गेम को अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे कि- पच्चीसा, चौपड़, पगड़े, चौसड, दायकटम, सोकटम, वर्जेस, आदि।

ludo ka avishkar kha hua tha (लूडो का आविष्कार कहां हुआ था)

लूडो खेल का आविष्कार भारत में ही हुआ था। लूडो को प्राचीन काल से खेला जा रहा है, जिसका विख्यात कई सारे ग्रंथों में भी किया गया है। समय के साथ लूडो गेम और इसके नियम में काफी बदलाव किए गए हैं।

लूडो गेम किस देश का है?

लूडो भारत देश का हि खेल है, क्योंकि इस खेल का आविष्कार भारत देश में ही हुआ था, जिसे प्राचीन खेलों में से एक माना जाता है।

लूडो का इतिहास

लूडो एक बहुत ही प्राचीन खेल है। इस खेल का विख्यात विष्णु पुराण, महाभारत, और भागवत गीता जैसे ग्रंथों में भी किया गया है।

पहले के समय में इस खेल को पच्चीसा के नाम से जाना जाता था। इस खेल का पुराना इतिहास भी मौजूद है, जो कि अकबर के राज में फतेहपुर सीकरी में बहुत बड़ा पच्चीसा बोर्ड बना हुआ है।

कहा जाता है कि अकबर अपनी दासियो को प्यादा बनाकर इस खेल को खेला करते थे और फिर जैसे-जैसे समय बढ़ता गया वैसे-वैसे इस खेल को लूडो का नाम मिला।

लूडो के नियम 

भारत में लूडो गेम को अधिकतम 4 लोगों द्वारा खेला जाता है। लूडो का खेल खेलने के कुछ नियम होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-

  1. लूडो खेलने के लिए सबसे पहले इसकी सामग्री चाहिए होती है।
  2. लूडो के चार्ट पर चार खाने दिए गए होते हैं, जिसे 4 खिलाड़ियों द्वारा अलग-अलग चुनना होता है।
  3. उसके बाद चारों खिलाड़ियों द्वारा एक एक करके पासा फेंका जाता है, और जिसके पासे में 6 नंबर आता है, वह सबसे पहले चाल चलता है।
  4. इसी तरह से सभी खिलाड़ियों द्वारा एक एक कर के पासा चला जाता है, और गोटियो को दिए गए सुई की दिशा में चला ना होता है।
  5. परन्तु थीं बार पासे में 6 आने पर उसे कोई भी अंक नहीं दिया जाता है।
  6. जब किसी खिलाड़ी की गोटी दूसरे खिलाड़ी की कोटी पर आ जाती है, तब दूसरे खिलाड़ी के गोटी को काट दिया जाता है। और फिर दूसरा खिलाड़ी अपनी उस गोटी को फिर से शुरुआत से शुरू करता है।
  7. इसी प्रकार खेलते खेलते सभी गोटिया को विजय पॉइंट तक लेकर जाना होता है।
  8. अगर कोई भी खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी की गोटी नहीं काट पाया है, तो उसे विजई नहीं माना जाता है। तो इसीलिए लूडो गेम में विजई बनने के लिए किसी अन्य खिलाड़ी की गोटी को काटना जरूरी होता है।

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दोस्तों हमे उम्मीद करते है की ludo ka avishkar से जुडी सभी जानकारी आपको इस लेख में प्राप्त हुई होगी।

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