बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं और अगर पीना चाहिए तो कितना पी सकते है

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं यह सवाल आम नहीं है, अक्सर बवासीर के रोगियों में इस बात की कंफ्यूजन रहती है। वैसे तो दूध शरीर और सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है लेकिन बवासीर में दूध पीना चहिये या नही और यदि पीना चहिये तो कैसे और किन बातों का ध्यान रखे, इसके बारे में यहां जानेंगे।

सबसे पहले आपको यह जानना चहिये कि, इस विषय पर अधिक शोध नही हुआ है। हालांकि कई विशेषज्ञों और डॉक्टरों के अनुसार, बवासीर या अन्य गुदा रोगों से पीड़ित होने पर रोगियों को जटिलताओं को रोकने के लिए दूध के सेवन से बचना चाहिए।

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं

वैसे तो दूध सीधे तौर पर बवासीर को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन यह कब्ज पैदा कर सकता है, जिससे बवासीर की गंभीरता बिगड़ सकती है और यह अधिक पीड़ादायक हो सकता है।

दूध एक पौष्टिक पेय है जिसमें कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन जैसे विभिन्न आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को बवासीर के दौरान लैक्टोज से असहिष्णुता या एलर्जी हो सकती है, जिससे पाचन संबंधी परेशानी, सूजन या इससे भी अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इसके आलावा काफी बार बवासीर के मस्से भी हो जाते है जिसके लिए आप बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय जान सकते है।

ऐसे मामलों में, बवासीर में दूध पीने की सलाह नहीं दी जा सकती है और इन पोषक तत्वों के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करने की आवश्यकता होनी चहिये। बवासीर में दूध को गर्म करके कम मात्रा में सेवन करना बेहतर माना जाता है।

बवासीर में दूध पीने से इसके फायदे तो नही लेकिन दुष्प्रभाव हो सकते है। दूध और डेयरी उत्पादों की अनुशंसित दैनिक खपत उम्र, लिंग और शारीरिक गतिविधि के स्तर के आधार पर अलग होती है। हालांकि, आमतौर पर संतुलित आहार के हिस्से के रूप में मध्यम मात्रा में दूध का सेवन करना बेहतर हो सकता है, जैसे कि एक गिलास (लगभग 240 मिली)। बहुत अधिक दूध का सेवन करने से अतिरिक्त कैलोरी का सेवन हो सकता है, जो वजन बढ़ाने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान कर सकता है।

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निष्कर्ष – बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं

जबकि दूध पीना आम तौर पर एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है, लेकिन बवासीर में इसका सेवन करना उपयुक्त नही है। बवासीर में दूध पीने के बाद कब्ज या अनुचित पाचन का एक कारण लैक्टोज इनटॉलेरेंस भी हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां शरीर में लैक्टेज एंजाइम की कमी होती है, जो दूध में मौजूद लैक्टोज को तोड़ देता है। नतीजतन, शरीर के लिए दूध को ठीक से पचाना मुश्किल हो जाता है।

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