गोलगप्पे यानि पानीपुरी का आविष्कार किसने और कब किया

दोस्तों क्या आप जानते है की गोलगप्पे यानि जिसे हम पानीपुरी भी कहते है इन्ही पानीपुरी का आविष्कार किसने और कब किया था अगर नहीं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े क्योकि यहां हम पानी पुरी के इतिहास से जुडी जानकारी देने वाले है।

पानीपुरी का आविष्कार किसने और कब किया (Pani Puri ka avishkar kisne kiya tha)

पौराणिक कथाओं द्वारा माना जाता है कि पानीपुरी का आविष्कार महाभारत काल के दौरान पांडवों की पत्नी द्रोपति द्वारा उनका पेट भरने के लिए किया गया था। तब से पानी पुरी के आविष्कारक के रूप में द्रोपति को हि जाना जाता है।

परंतु पानी पूरी शब्द 1955 में, और गोल्गप्पा शब्द को 1951 में दर्ज किया गया है। अभी के समय में यह माना जाता है पानीपुरी को भारत में एक व्यक्ति द्वारा सबसे पहले मगध क्षेत्र से शुरू किया गया है। जिसे वर्तमान समय में दक्षिण बिहार के नाम से जाना जाता है।

पानीपुरी का आविष्कार कैसे हुआ था?

पानीपुरी का आविष्कार महाभारत काल के दौरान जब द्रौपदी पहली बार अपने पतियों के साथ ससुराल आई थीं, तब माता कुंती द्वारा उनसे कुछ ऐसा बनाने को कहा गया, जिसे खाकर पांडवों का पेट भर सके। तब द्रौपदी ने अपनी कला का इस्तेमाल करते हुए पानी पूरी यानी कि गोलगप्पा बनाया जिसे खाने के बाद पांडवों का पेट भर गया।

गोलगप्पे की शुरुआत कैसे हुई?

पौराणिक कथाओं के अनुसार गोलगप्पे की शुरुआत महाभारत के दौरान हुई है। उस समय जब द्रोपति पांडवों के साथ अपने ससुराल आई थी, तब माता कुंती ने द्रौपदी को थोड़ा आटा और कुछ बची हुई सब्जियां देकर कुछ ऐसा बनाने को कहा जिससे पांडवों का पेट भर सके। तब द्रौपदी को गोलगप्पे बनाने का सुझाव आया। और गोलगप्पा खाकर सभी पांडवों का पेट आसानी से भर गया। इसे देखकर माता कुंती बहुत खुश हुईं थी।

Pani Puri History In Hindi

पानीपुरी का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। प्राचीन समय के मान्यता के अनुसार पांडवों की पत्नी द्रोपती द्वारा उनका पेट भरने के लिए पानी पुरी बनाया था। जिसे आज के समय में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। और वर्तमान समय में लोगों द्वारा पानी पुरी को काफी पसंद किया जाता है। और समय के साथ-साथ पानी पुरी के स्वाद में भी बदलाव देखने को मिल रहा है।

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